Featuring Anmol Chugh Dildard || इंसानियत || SIV Writers
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More about Anmol : " मेरा नाम अनमोल है। मैं जालंधर शहर का रहने वाला हूं। मैं सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई सेंट सोल्जर ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस से कर रहा हूं। आज मैं आपके सामने जो कविता प्रस्तुत करने जा रहा हूं उसका विषय है - इंसानियत "
Poem :
इंसानियत क्या है,इंसानियत वफ़ा है,परंतु आज कल ये खफा है।एक तरफ सब किसान एक जुट है,दूसरी तरफ सरकार चुप है।
एक तरफ जहां किसानों में एकता देखी गई,वहीं दूसरी ओर सरकार में अमानवता देखी गई।
एक और किस्सा है इंसानियत का,हादसे होते है जहां,लोग पहुंच जाते हैं वहां,मोबाइल फोन सबके पास है यहां।
बनाते हैं वीडियो अनेकों ही,पहुंच जाती हैं हर तरफ ही।इंसानियत देखी मैंने कश्मीर के रहने वालों में भी,चोट एक को लगती तो पहुंच जाते मदद करने हर एक ही।
चलो मैं कुछ और समझाता हूं,मैं अपनी ही बात बताता हूं।इंसानियत है मुझ में भी,पर मैं दुनिया के रंगों से बदला हूं।
इंसानियत दिखाता हूं उतनी ही,जितनी सामने वाले को ज़रूरत होती है,करता हूं मदद उतनी ही,जितनी मेरी हिम्मत होती है।इंसानियत क्या है,इंसानियत दवा है,ये भी जीने की एक वजह है।
मैं इंसानियत के जितने भी पन्ने पढ़ रहा हूं,सब अपनी मां से पढ़ रहा हूं, सीखा हूं।
मेरी मां का कहना है,कि जहां इंसानियत जिंदा है,वहां धर्म की कोई बात नहीं होती,और जहां पैसे की बात हो,वहां इंसानियत की कोई औकात नहीं होती।
अजीब सी एकता देखी मैंने इंसानों में,जिन्दों को गिराने में,और मुर्दों को उठाने में।इंसान की हद यहां तक भी देखी मैंने,खुद की रोटी आराम से खाने में,मगर दूसरों का सूखा निवाला छीनने में।
इंसान की सोच यहां तक भी देखी मैंने,लाश को हाथ लगाकर नहाते हैं,और अन्य जीव जंतुओं को पका कर खाते हैं।
कई इंसानों की यहां तक भी सोच देखी मैंने,वो दिल से कहेंगे तुम आगे बढ़ो,पर उनसे आगे बढ़ो,ये उन्हें मंज़ूर नहीं।मतलब के बिना कोई साथ नहीं,रिश्तेदारी भी आजकल साफ नहीं,गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं लोग,अब तो मान लूं कि इंसानियत भी इनके पास नहीं।
मैंने इंसानियत का एक और किस्सा देखा,बड़ा अजीब सा हिस्सा देखा,कि कुछ दोस्त तो हैं यहाँ,मगर उनमें इंसानियत नहीं है,वो दूसरों की खुशियों में तो शामिल हो जाते हैं,मगर उनके दुख में साथ न देते हैं,शादी हो या कोई जन्मदिवस वो समय निकाल लेते हैं,अगर कोई मातम, दुख हो तो बहाने बनाने लग जाते हैं।
आजकल हर कोई पैसे के पीछे भाग रहा है,अमीर गरीब को और मार रहा है।आजकल पैसे का बोल बाला है,इंसानियत के मुंह पर लगा दिया ताला है।
शुक्रिया
धन्यवाद।
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