show episodes
 
Loading …
show series
 
आसरा के घीउआ :- विरह भगवत्प्रेम को जगाये रखता है । उनसे मिलन की आशा ही प्रेम को जीवित रखता है । प्रभु के निरंतर स्मरण पर बल दे रहा है यह भजन । #Kabir #Mira #Sadhguru #GuruAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
मन बनजा वैरागी :- सांसारिक वैभव और भोगों का त्याग किए बिना भगवत्प्राप्ति दुष्कर है । भोगों की नश्वरता का प्रतिपादन करने वाला प्रेरणादायक यह भजन ।Af Yatharth Geeta
  continue reading
 
श्वासों का क्या भरोसा :- संतों ने प्रत्येक श्वास को हीरे से भी बहुमूल्य माना है । यह भगवान का अनमोल उपहार है इसे व्यर्थ नहीं गँवाना चाहिए । इसलिए प्रत्येक श्वास पर प्रभु का स्मरण होता रहे इसी प्रेरणा के साथ प्रस्तुत है यह भजन । #Kabir #Mira #Sadhguru #GuruAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
अलख के अमल पर :- प्रभु प्रेम में निमग्न साधक को सांसारिक वैभव आकर्षित नहीं कर पाते । भजन की जागृति हो जाने के पश्चात साधक की मस्ती का संकेत देता हुआ यह भजन । #Kabir #Mira #Sadhgur #GuruAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
संत की जात न पूछ गँवारा :- ईश्वर पथ में जाति पाँति का भेद भाव नहीं चलता । जाति -पाँति और सम्प्रदाय का भेद रखने वाले समर्पण के साथ साधना में नहीं लग पाते । इसी दोष से सतर्क करता हुआ यह भजन । #Kabir #Mira #Sadhguru #GuruAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
तेरा मैं दीदार दीवाना :- पूज्य गुरु महाराज कहा करते हैं - कि जिस व्यक्ति के मन में भगवान के लिए विरह वैराग्य और तड़पन नहीं है उसके लिए भगवान भी नहीं है । इसी आशय का है संत मलूकदास जी का यह भजन । #Kabir #Mira #Sadhguru #GuruAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
तोरा मन दरपन कहलाये :- मन ही मनुष्यों के बंधन और मोक्ष का कारण है । संकल्प - विकल्प का नाम मन है । मनुष्य जैसा संकल्प करता है वैसा ही हो जाता है, इसलिए सबको हमेशा शुभ संकल्प करना चाहिए । गीता में है कि वायु से भी तेज चलने वाला यह दुर्जय मन अभ्यास और वैराग्य द्वारा भली प्रकार वश में हो जाता है । मन की अपार क्षमताओं पर प्रकाश डालने वाला यह भजन प्रस्त…
  continue reading
 
चेत करो बाबा - साधक को कहा गया है कि सदैव सचेतावस्था में रहकर भजन करें | माया की धार सर्वत्र है माया से सदैव डरना चाहिए | संत कबीर की वाणी का ओज एवम् उसकी यथार्थ एवम् ओजपूर्ण व्याख्या करते परमहंस स्वामी श्री अड़गड़ानन्द जी महाराज । #Kabir #Mira #Sadhguru #GuruAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
तानसेन महाराज के श्रीमुख से ‘‘बारहमासी’’ भजन - बारहमासी परम पूज्य परमहंस गुरु महाराज के श्रीमुख से ध्वनित साधनात्मक गायन है। #Sadhguru #Paramhansa #Paramananda #TansenAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
‘‘नैहर दाग लगल मोरी चुनरी।’’ - चित्त ही चुनरिया हैं। जो चित्त की दैवी प्रवृत्ति भगवान् तक की दूरी तय कराती है, वह सद्गुरु द्वारा प्राप्त होती है। उस चित्त पर प्रभु का रंग चढ़ता जाता है, प्रभु की आभा उतरने लगती है, चाँद और सूर्य की ज्योति छिप जाती है। यह साधनापरक भजन है। #Kabir #Mira #SadhguruAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
‘‘बलम राउर देसवा में चुनरी बिकाय।’’ - चित्त ही चुनरिया हैं। जो चित्त की दैवी प्रवृत्ति भगवान् तक की दूरी तय कराती है, वह सद्गुरु द्वारा प्राप्त होती है। उस चित्त पर प्रभु का रंग चढ़ता जाता है, प्रभु की आभा उतरने लगती है, चाँद और सूर्य की ज्योति छिप जाती है। यह साधनापरक भजन है। #Kabir #Mira #SadhguruAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
‘‘सद्गुरु ज्ञान बदरिया बरसे।’’ - सद्गुरु का ज्ञान बादल की तरह बरसता है। जिस हृदय में साधन जागृत हैं, जो योग-साधना में प्रवृत्त हैं उनके चिदाकाश में यह ज्ञान सदा बरसता रहता है। #Kabir #Mira #SadhguruAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
‘‘शब्द सों प्रीति करे सो पावै।’’ - शब्द परमात्मा से प्रसारित वाणी है, एक दृष्य हैं जो शून्य से भी प्रकट हो सकता है और प्रतीकों के रूप में भी दिखायी दिया करता है। उसे समझना तथा तदनुरूप आचरण करना ही सम्पूर्ण साधना का रहस्य है। भजन की जागृति का स्रोत शब्द है। #Kabir #Mira #SadhguruAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
‘‘अड़गड़ मत है पूरों का...’’ - साधन पथ दुर्गम हैं, काँटों भरा रास्ता है, तलवार की धार पर चलने जैसा है। इस पर पूर्ण पुरुष ही अग्रसर होते हैं। इस पथ पर कायरों का कोई उपयोग नहीं है। यह सच्चे साधकों के लिए आचार संहिता है। #Kabir #Mira #Sadhguru #Swami #AdgadanandAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
‘‘बहुरि न अइहैं कोई शूरों के मैदान में...’’- दुनिया में झगड़े होते ही रहते हैं किन्तु शाष्वत विजय जीतने वालों को भी नहीं होती, किन्तु योग साधना एक ऐसी लड़ाई है जिसमें शाष्वत विजय है, जिसके पीछे हार नहीं है। वह पुनः लौटकर संसार के आवागमन में नहीं आता। #Kabir #Mira #SadhguruAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
‘‘छाओ छाओ हो फकीर गगन में कुटी।’’- आकाश शून्य को कहते हैं। संकल्प-विकल्प से रहित मन शून्य में टिकने की क्षमता पा जाता है, क्रमशः उसके लिए वहाँ रहने की सारी व्यवस्थायें मिलने लगती है। उस आनन्द से वह नीचे उतरता ही नहीं। अंततः आवागमन की फिक्र मिट जाती हैं। #Kabir #Mira #SadhguruAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
‘‘तवन घर चेतिहे रे मेरे भाई’’- उस घर में प्रवेश करने की प्रेरणा का भजन है जिसमें प्रवेश के साथ जन्म-मरण का बंधन कट जाता है, लक्ष्मी सेवा करने लगती है। अमृतमय पद प्राप्त हो जाता है। प्राप्ति के पश्चात् मिलने वाली विभूतियों का इसमें भली प्रकार चित्रण हैं। #Kabir #Mira #SadhguruAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
‘‘का कही केसे कही के पतिआई’’- वह परमात्मा कहने में नहीं आता, अनुभवगम्य है। वह परमात्मा एक ऐसा पुष्प हैं जिसका स्पर्श करते ही मनरूपी भ्रमर उसी में विलीन हो जाता है। परमात्मा ही शेष बचता है। प्राप्तिकाल का चित्रण प्रस्तुत भजन में देखें। #Kabir #Mira #SadhguruAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
‘‘साईं के रंग सासुर आई’’- पहले साई अर्थात् उस परमात्मा का संग, तत्पश्चात् स्व-स्वरूप में स्थिति मिलती है। साधना कैसे आगे बढ़ी ? कौन से विघ्न आये ? अंत में क्या पाया ? इसका सम्पूर्ण चित्रण इस भजन में प्रस्तुत है। #Kabir #Mira #SadhguruAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
‘‘भजन किसका, कैसे और क्यों करें ?’’- आज भगवानों की कतार लग गयी है। अतः विचारणीय है कि भजन किसका करें, कैसे करें और क्यों करें ? मनुष्य अपूर्ण है भजन उसे पूर्णत्व प्रदान करता है। भजन एक परमात्मा का ही करना चाहिए। उसकी प्राप्ति के लिए सद्गुरु ही साधना की जागृति, संरक्षण और प्रवश है। प्रवेश के साथ भगवान् ही शेष बचते हैं। #Shiva #Rama #Sadhguru #Brahma…
  continue reading
 
‘‘सन्तो, जागत नींद न कीजै।’’- यह साधकों के लिए चेतावनी है। यदि वे भजन में प्रवृत्त हो ही गये हैं तो उन्हें मोहरूपी निद्रा के वशाीभूत नहीं होना चाहिए। #Kabir #Mira #Sant #SadhguruAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
‘‘मन मस्त हुआ फिर क्यों डोलें’’- मन के अंतराल में अनुभूति मिलने के साथ ही उसके चलायमान होने का कोई कारण ही शेष नहीं रह जाता। मन तिल जितने सूक्ष्म तल पर टिकने की क्षमता प्राप्त कर लेता है। इस चित्त निरोध के साथ ही प्रभु मिल जाते हैं। #Kabir #Mira #SadhguruAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
‘‘सोने की थाली में जेंवना परोसे’’- यह लोकगीत भी साधनापरक आशय रखता है। शरीर मिट्टी है जिसमें श्वास ही सोना है। साधक प्रभु के लिए सद्गुणों का संग्रह करता है फिर भी प्रभु दर्शन नहीं देते। इस प्रकार की विरह-व्यथा का स्पन्दन इस गीत में देखें। #Kabir #Mira #SadhguruAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
‘‘पनघट पर गगरिया फूटल हो।’’- संसार एक समुद्र है। अनन्त योनियाँ अवघट घाट हैं। किसी में पार जाने का उपाय नहीं है। मनुष्य योनि ही उस पार जाने का घाट है, साधन है- इसी आशय का यह भजन है। #Kabir #Mira #SadhguruAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
‘‘बूझो बूझो पंडित अमरित बानी’’- सन्त कबीर को अनुभव में जो-जो दृश्य आये उन्हीं का संकलन इस पद में है। साधक के समक्ष ऐसे दृश्य आते हैं। एक दिन भक्ति का चरमोत्कृष्ट लक्ष्य परमात्मा की गोद में खेलने लगता है। #Kabir #Mira #SadhguruAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
‘‘सन्तो ! भगति सद्गुरु आनी।’’- भक्ति पढ़ने-सुनने से नहीं आती, किसी अनुभवी सद्गुरु द्वारा जागृत हो जाया करती है। भक्ति का आरंभ और चरमोत्कृष्ट लक्ष्य इसमें प्रस्तुत है। #Kabir #Mira #SadhguruAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
‘‘नाव बीच नदिया डूबी जाय’’- नियम ही नाव है जिसका पालन होने पर भवसरिता सिमटने लगती है। अंततः उसका अस्तित्व ही खो जाता है। संत सुजान हो जाता है। विविध उद्धरणों से साधना के प्रभाव का अंकन इस पद में द्रष्टव्य है। #Kabir #Mira #SadhguruAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
‘‘धार्मिक भ्रान्ति’’- संसार में धर्म के नाम पर भ्रान्तियों का बाहुल्य है। इन भ्रान्तियों की पहचान, उनका कारण तथ निवारण आपके धर्मशस्त्र के आलोक में प्रस्तुत है। इस कैसेट में अवश्य देखें। #Dharma #Scripture #Gita #SadhguruAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
‘‘बारहमासी’’- बारहमासी गुरु महाराज के श्रीमुख से ध्वनित साधनात्मक गायन है। वर्ष के बारह महीनों के माध्यम से जीव की जागृति, साधनात्मक उत्कर्ष विभूतियाँ तथा प्राप्ति के पश्चात् संत के लक्षणों का क्रमबद्ध चित्रण इसमें प्रस्तुत है। #Sadhguru #Paramhansa #ParamanandaAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
‘‘धर्म की व्याख्या’’ - कुछ भी कर डालना धर्म नहीं है। एक शास्त्र के अभाव में समाज लड़खड़ा गया है। मनुष्य श्रद्धामय है। श्रद्धावश कुछ न कुछ करता ही रहता है। भ्रान्तियों का निवारण तथा धर्म को परिभाषित करने का प्रयास प्रस्तुत अमृतवाणी में है। #Gita #Sadhguru #Amritwani #DharmaAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
‘‘पिया तेरी ऊँची रे अँटरिया’’ - प्रभु की अट्टालिका आकाशवत् है, प्रकृति से अतीत। नाम की डोर से समीप पहुँचने पर चाँद और सूर्य जैसे दीपक पथ में प्रलोभन देकर उलझा लेते हैं। उन्हें पार करने पर दसवें द्वार ब्रह्मरन्ध्र में सुरत स्थिर होते ही स्थिति मिल जाती है और इन सब का सारा श्रेय सद्गुरु को जाता है। #Kabir #Mira #Sadhguru…
  continue reading
 
‘‘दगा होइगा बालम।’’ - अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय तथा आनन्दमय क्रमोन्नत इस पंचकोशों से संयुक्त सुरत शून्य परमात्मा में लगकर झूलने लगती है जो भक्ति का आभूषण है। साधक इस अवस्था को खोना नहीं चाहता किन्तु कभी धोखा हो जाता है, झुलनी टूट जाती है; किन्तु साधक को कभी हताश नहीं होना चाहिए। #Kabir #Mira #Sadhguru…
  continue reading
 
‘‘चूनर में दाग कहाँ से लागल’’- साधना की परिपक्व अवस्था! एक भी विजातीय संकल्प नहीं ! नियम पूर्ण ! बहिर्मुखी प्रवाह निरुद्ध ! ऐसे संयत चित्त में दाग कहाँ से आ गया ? यह संस्कार है। पूर्व में अर्जित आपका ही कर्म ! वह अवश्यम्भावी है किन्तु वह भी जाने के लिए ही है। सचेतावस्था में श्वसन क्रिया का अभ्यास करने से वह भी शान्त हो जाता है। #Kabir #Mira #Sadhgu…
  continue reading
 
‘‘गाँठ पड़ी पिया बोलें न हमसे’’- ईशवर-पथ भगवान् के द्वारा संचालित होता है। साधक को वे ही बताते हैं, समझाते हैं, उठाते-बैठाते सब कुछ करते हैं। कदाचित् भूल हो जाती है तो वे बोलना, बताना बन्द कर देते हैं। साधक पश्चाताप करता है, प्रभु पुनः मुस्कराने लगते हैं, प्रसन्न हो जाते हैं। #Kabir #Mira #SadhguruAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
‘‘दान’’- दान परमात्मा की ओर है। जितना दान दिया जाता है उतना संसार आप त्याग रहे हैं। दान के उत्कर्ष में व्यक्ति शनैः-शनैः तन, मन, धन और अपने आपको भी अर्पित कर देता है और बदले में अपने ही स्वरूप को प्राप्त कर लेता है। #Sadhguru #God #Ishwar #ParamatmaAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
‘‘न तसबी काम आयेगी’’- संसार में भूले हुए लोगों को सचेत करते हुए संतों ने बताया कि आपके काम क्या आयेगा ? राहे हक़ में जो दिया जाता है वही आपका है, शेष सब यहीं छूट जाना है। परमात्मा की राह में जो संकल्प किया गया, जो श्वास सुमिरन में गयी, जो ग्रास अर्पित किया गया वही आपके काम आयेगा अन्यथा न फौजें साथ देगी, न रिसाला काम आयेगा। #Kabir #Mira #Sadhguru #S…
  continue reading
 
‘‘मय पीकर जे बउरा गया...’’ - भजन एक नशा है, एक खुमारी है। भजन में बेसुध दीवानों से न पूछें कि उन्होंने क्या देख लिया ? चराचर जगत् में जहाँ भी उनकी दृष्टि पड़ती है, उन सबमें वह अपने आराध्य (भगवान्) का उत्सव ही देखता है। मय पीने वाले कौन-कौन थे, उनके समक्ष कितने सांसारिक व्यवधान आये, भगवान् ने कैसे सहायता की ? साधकों के लिए प्रेरक भजन! #Kabir #Mira #…
  continue reading
 
‘‘वर्ण-व्यवस्था’’- वर्ण के नाम पर आज समाज में असमानता, ऊँच-नीच, बिखराव, घृणा, भेदभाव प्रचलन में है जबकि गीता के अनुसार एक परमात्मा ही सत्य है। उसे प्राप्त करने की नियत विधि यज्ञ है। उस यज्ञ को चरितार्थ करना कर्म है। इस एक ही कर्मपथ को चार श्रेणियों में बाँटा गया है जिसे वर्ण कहते हैं। यह साधना का बँटवारा है न कि मनुष्य का ! एक ही साधक की नीची-ऊँची …
  continue reading
 
‘‘दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है।’’- विश्वभर का भौतिक ऐष्वर्य मिल भी जाय तो मिट्टी है, कदाचित् दुनिया खो जाय तो सोना है। दुनिया खो जाने पर परमात्मा ही शेष बच रहता है। वह कैसे खोवे ? स्थिति कैसे मिले ? उसके लिए हमारा रहन-सहन कैसा हो ? इसी का चित्रण इस भजन में है। #Kabir #Mira #SadhguruAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
‘‘तू दैरो हरम का मालिक है।’’- यह एक विरही भक्त की अन्तःवेदना है। वह प्रभु से सहायता की याचना करता है। अन्ततः कहता है कि मैं व्यर्थ ही आपसे अनुनय-विनय करता रहा वस्तुतः आपकी महिमा तो हम लोगों द्वारा ही समाज को देखने में आती है। यहाँ भक्त और भगवान् का सख्यभाव है। #Kabir #Mira #SadhguruAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
‘‘चदरिया झीनी झीनी बीनी।’’- चित्त ही चदरिया है। स्थूल संसार के कण-कण में सूक्ष्म ब्रह्म व्याप्त है। उसी ब्रह्म के रंग में राम-नामरूपी धागों से चादर बनायी गयी है। सुर, नर, मुनि स्तर तक माया पीछा करती है। चादर मैली हो जाती है। दास कबीर ने युक्ति के साथ इसे ओढ़ी और ज्यों की त्यों इसे रख दी। यही मुक्ति है। #Kabir #Mira #Sadhguru…
  continue reading
 
‘‘करमाँ री रेखा न्यारी न्यारी’’- कर्म भाग्य का नियामक है। कर्मानुसार अदृश्य भाग्य रेखायें प्रत्येक व्यक्ति को भिन्न-भिन्न दिशओं में ले जाती हैं। एक ही माँ का एक पुत्र राजा तो दूसरा रंक हो सकता है। माता मीरा ने भाग्य की प्रबलता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि परिस्थितियों के लिए माता-पिता को दोष नहीं देना चाहिए। #Kabir #Mira #Sadhguru #Karma…
  continue reading
 
‘‘ठगनियां क्या नैना झमकावै।’’- संत कबीर ने माया को ठगने वाली कहकर सम्बोधित किया है। यह कब सफल होती है- इसका ज्ञान साधक को तब होता है जब वह पतित हो जाता है। किन्तु साधन के उन्नत होने पर एक स्तर ऐसा आता है कि साधक माया की चाल पहले ही समझकर सतर्क हो जाता है। माया की छाया से पृथक् रहने की पदार्थ भावनी अवस्था का चित्रण इस पद में है। #Kabir #Mira #Sadhgu…
  continue reading
 
‘‘अवधू ! ऐसा ज्ञान न देखा।’’- भक्ति-पथ का ज्ञान बहुत पढ़ने-लिखने या दुनिया देखने से नहीं आता। यह ऐसा ज्ञान है जो योग-साधना से चिंतन में डूबने से अनुभव में घटित होता है। ईश्वरीय आलोक में क्या घटित होता है, उसी का चित्रण है। #Kabir #Mira #SadhguruAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
‘‘सैयाँ निकसि गये मैं ना लड़ी’’- भजन की जागृति से प्राप्ति तक परमात्मा मार्गदर्शन करते रहते हैं किन्तु पूर्तिकाल में एक ऐसी अवस्था आती है कि वे बातें करना बन्द कर देते हैं। आगे कोई श्रेष्ठ सत्ता शेष ही नहीं तो बतायें भी क्या ? साधक को ग्लानि होती है कि हमने तो भूल भी नहीं की। प्रभु का साहचर्य क्यों खो गया ? यह प्राप्तिकाल का चित्रण है। #Kabir #Mira…
  continue reading
 
‘‘जाड़न मरो सारी रात रे हम झिनवा ओढि़न’’- संसार में आवश्यकताओं की शीत लहरियाँ अनवरत चलती रहती हैं। एक इच्छा की पूर्ति हुई तो दस आकांक्षाएँ बेचैन कर देती है। लोग उसकी पूर्ति में आये दिन मरते खपते हैं किन्तु हमने तो सूक्ष्म ब्रह्म चदरिया का आश्रय ले लिया है। योग में मिलने वाली अनुभूतियों का चित्रण प्रस्तुत पद में है। #Kabir #Mira #Sadhguru…
  continue reading
 
‘‘तुम चलो दीवाने देश’’- उस देश में चलने का आह्वान है जहाँ के विरह में डूबे हुए दीवाने, जैसे मीरा, जड़ भरत या मंसूर जैसे लोग रहते हैं। वहाँ अलख परमात्मा से आप मिलेंगे। दीवानों के क्या लक्षण है ? इस पद में देखें। #Kabir #Mira #SadhguruAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
‘‘पिवत नाम रस प्याला, मन मोर भयो मतवाला।’’- राम नाम का प्याला पीने से मन मतवाला हो जाता है। उस प्याले का उतार-चढ़ाव श्वास-प्रश्वास पर है। नाम जपने की समग्र विधि पर इसमें प्रकाश डाला गया है। इस नाम की जागृति सद्गुरु से हैं। #Kabir #Mira #Sadhguru #RamaAf Yatharth Geeta
  continue reading
 
‘‘नाम, रूप, लीला, धाम....’’- ईश्वर-पथ की चार भूमिकाएँ नाम, रूप, लीला और धाम हैं। नाम जप, स्वरूप का ध्यान, लीला अर्थात् प्रभु से मिलने वाला आदेश तथा लीला देखते हुए उस केन्द्र में स्थिति, जहाँ से प्रभु अपनी वाणी का प्रसार करते हैं उस धाम का स्पर्श, सम्पूर्ण साधना का संक्षिप्त चित्रण प्रस्तुत पद में द्रष्टव्य है। #Sadhguru #God #Ishwar #Atman #Paramat…
  continue reading
 
Loading …

Hurtig referencevejledning